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इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के कर्मचारियों को ‘ देश का प्रकृति परीक्षण ‘ अभियान के तहत बताया गया जीवन में योग एवं आयुर्वेद का महत्व

स्वस्थ जीवन की अमूल्य धरोहर , स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन इसकी सुरक्षा करना अति आवश्यक- डॉ संजय गुप्ता

स्वास्थ्य, जीवन का एक अहम आयाम है. यह शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक तौर पर स्वस्थ होने की स्थिति को दर्शाता है. स्वास्थ्य का मतलब सिर्फ़ बीमार न होना नहीं होता, बल्कि यह कई पहलुओं को मिलाकर बनता है. स्वास्थ्य का महत्व इस वजह से है कि यह जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है. स्वस्थ रहने से कई फ़ायदे होते हैं।स्वास्थ्य एक सकारात्मक अवधारणा है जो सामाजिक और व्यक्तिगत संसाधनों के साथ-साथ शारीरिक क्षमताओं पर भी जोर देती है। ” इसका मतलब यह है कि स्वास्थ्य एक संसाधन है जो किसी व्यक्ति को समाज में अपना कार्य करने में मदद करता है, न कि अपने आप में एक लक्ष्य। एक स्वस्थ जीवन शैली आपको अर्थ और उद्देश्य के साथ एक पूर्ण जीवन जीने की अनुमति देती है।अच्छा स्वास्थ्य लोगों को अपनी क्षमता प्राप्त करने में सक्षम बनाता है, एक मजबूत समाज बनाने में मदद करता है और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है । यह हमारे पास सबसे कीमती संपत्ति है, व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों रूप से। अच्छा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सकारात्मक सामुदायिक और पारिवारिक जीवन का एक महत्वपूर्ण प्रवर्तक है।उच्च शारीरिक एवं मानसिक शक्ति: स्वस्थ व्यक्ति उच्च शारीरिक और मानसिक शक्ति रखता है जिससे उसे अपने दैनिक कार्यों को पूरा करने में सक्रिय रहने में मदद मिलती है। रोगों से सुरक्षा: स्वस्थ शरीर रोगों से सुरक्षित रहता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने के लिए मदद करता है।

उपरोक्त सभी तथ्यों के मद्देनजर इंडस पब्लिक दीपका में राज्य एवं केंद्र सरकार की महती योजना ‘ देश का प्रकृति परीक्षण ‘ के अंतर्गत विद्यालय के कर्मचारियों का स्वास्थ्य परीक्षण कर आवश्यक सुझाव दिया गया।स्वास्थ्य परीक्षरण हेतु राज्य सरकार की ओर से डॉक्टर ए 0के0 आर्य अपने टीम के साथ आए हुए थे। गौरतलब है कि देश का प्रकृति परीक्षण अभियान आयुर्वेद को हर घर के करीब लाता है, नागरिकों को उनकी अनोखी प्रकृति को समझने और व्यक्तिगत, निवारक स्वास्थ्य प्रथाओं को अपनाने के लिए सशक्त बनाता है।डॉक्टर आर्य ने सभी कर्मचारियों का स्वास्थ्य परीक्षण कर आवश्यक सुझाव दिए।उन्होंने सभी को प्रकृति से जुड़ने का संदेश दिया।उन्होंने सभी को जीवन में योग एवं आयुर्वेद का महत्व समझाया। डॉ आर्य ने कहा कि वर्तमान जीवन शैली में अनियमित खान-पान के कारण तनाव, अनिद्रा ,मधुमेह, मोटापा, हृदय रोग इत्यादि के लक्षण देखने को मिलते हैं। यदि हमारा खानपान संयमित और नियमित है और यदि हमने आयुर्वेद एवं योग को जीवन का एक अभिन्न अंग बना दिया तो यह बात निश्चित है कि हम दीर्घायु तो होंगे ही ,साथ ही साथ हम विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचे रहेंगे। एक स्वस्थ जीवन शैली के साथ हम उन्नति के मार्ग में आगे बढ़ेंगे।

विद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने कहा कि दरअसल हमारे ऋषि-मुनियों ने योग के साथ ही आयुर्वेद को भी जन्म दिया था। इसका कारण यह है कि ऋषि-मुनि सैकड़ों वर्ष तक जिंदा रहकर ध्‍यान और समाधि गति करना चाहते थे। इसके चलते उन्होंने दोनों ही चिकित्सा पद्धति को अपने ‍जीवन का अंग बनाया। आयुर्वेद और योग भारत द्वारा पूरी दुनिया को दिया हुआ एक अनमोल उपहार है। यह व्यक्ति के स्वस्थ्य रहने के उन स्थाई उपायों में है जो हमारी पृथ्वी की देखभाल करते है। व्यक्ति के स्वस्थ्य रहने के लिए जितना शरीर को स्वस्थ्य रखना जरूरी होता है उतना ही जरुरी पर्यावरण को स्वस्थ्य रखना भी होता है। आयुर्वेद और योग का अभ्यास जीवन को सकारात्मक और समग्र दृष्टिकोण से जीने में मदद करता है। आप तनाव मुक्त शरीर और मन प्राप्त कर सकते हैं; जिससे लंबी आयु सुनिश्चित होती है।पांच तत्व आयुर्वेद के मूल सिद्धांत ब्रह्मांड को पाँच तत्वों से बना हुआ मानते हैं: अंतरिक्ष, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी। ये तत्व हर चीज़ में मौजूद हैं, जिसमें हमारा अपना शरीर भी शामिल है। वे मिलकर तीन दोष या ऊर्जाएँ बनाते हैं: वात (अंतरिक्ष और वायु), पित्त (अग्नि और जल) और कफ (जल और पृथ्वी)।आयुर्वेद का मुख्य लक्ष्य व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना एवं रोगी हो जाने पर उसके विकार का प्रशमन करना है। ऋषि जानते थे कि धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति स्वस्थ जीवन से है इसीलिए उन्होंने आत्मा के शुद्धिकरण के साथ शरीर की शुद्धि व स्वास्थ्य पर भी विशेष बल दिया है।

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